
विजयादशमी के अवसर पर रामलीला मैदान में भगवान श्रीराम द्वारा 65 फीट ऊँचे लंकापति रावण के पुतले का दहन किया गया। रात 8:30 बजे जैसे ही भगवान श्रीराम ने अपने धनुष से अग्निबाण चलाया, वैसे ही रावण का पुतला धू-धू कर जल उठा। इस दौरान ‘सत्य की विजय’ और ‘अधर्म पर धर्म की जीत’ का संदेश वातावरण में गूंज उठा।
रामलीला मंचन में दिनभर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान और रावण के संवाद व युद्ध दृश्य का जीवंत चित्रण किया गया। भक्तिमय माहौल में उपस्थित हजारों लोगों ने जयकारों के बीच धर्म और न्याय की स्थापना का संदेश ग्रहण किया।
पुतला दहन के साथ ही आसमान में पटाखों की गड़गड़ाहट और रोशनी छा गई। लोग झूमते और ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष करते रहे। इस दौरान पूरा रामलीला मैदान श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा।
पीलीकोठी में भी रामलीला का आयोजन हुआ, जहां कुम्भकर्ण और मेघनाद वध के दृश्य ने दर्शकों का मन मोह लिया। वहीं शीतलाखेत और शीशमहल में भी रामलीला मंचन व पुतला दहन के साथ विजयादशमी धूमधाम से मनाई गई।
इस अवसर पर रामलीला कमेटियों के पदाधिकारी, स्थानीय जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में नागरिक मौजूद रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रशासन और पुलिस की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही।







