
शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है। इस दिन भक्त मां कूष्मांडा की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि मां ने अपने हल्के से स्मित (मंद हास्य) से ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना की थी। इसी कारण उन्हें कूष्मांडा नाम से जाना जाता है।
मां कूष्मांडा अष्टभुजा स्वरूप में सिंह पर विराजमान रहती हैं। उनके हाथों में धनुष-बाण, कमंडल, गदा, चक्र, जपमाला, कमल और अमृत से भरा कलश होता है।
पूजा के महत्व की बात करें तो मां कूष्मांडा की उपासना से दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है। भक्तजन इस अवसर पर मां से अपने परिवार की मंगलकामना करते हैं।
प्रतीक और स्वरूप
मां कूष्मांडा के आठ भुजाएं होती हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते हैं।
इनके हाथों में कमंडल, धनुष-बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, जपमाला और कमल होते हैं।
इनका वाहन सिंह है।
🔹 पूजा का महत्व
मां कूष्मांडा की उपासना से दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
साधक की विद्या, बुद्धि और यश में वृद्धि होती है।







