
उत्तराखंड की दुर्लभ होती औषधीय वनस्पतियों को संरक्षित करने के लिए क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान ने बड़ा कदम उठाया है। अब संस्थान हर्बल उद्यान तैयार करने जा रहा है, ताकि जलवायु परिवर्तन और मानवजनित कारणों से विलुप्त हो रही वनस्पतियों को नया जीवन मिल सके।
इस दिशा में केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद की क्षेत्रीय इकाई ने डाबर इंडिया लिमिटेड के साथ एक अनुबंध किया है। अनुबंध के तहत लगभग दो एकड़ क्षेत्रफल में हर्बल उद्यान विकसित किया जाएगा, जिसमें दुर्लभ और परंपरागत औषधीय पौधों जैसे कुमकुम, बुरांश, अश्वगंधा, अदहूस मुसली आदि को शामिल किया जाएगा।
इस परियोजना का उद्देश्य औषधीय पौधों का संवर्धन, वैज्ञानिक मूल्यांकन और दस्तावेजीकरण कर शोध कार्यों को बढ़ावा देना है। इसके तहत गणियाधोली स्थित उद्यान को नया स्वरूप दिया जा रहा है। प्रथम चरण में संस्थान के अनुसंधान अधिकारी चिन्हित भूभाग में वनस्पतियों का सर्वेक्षण कर उनकी पहचान और वर्गीकरण करेंगे।
संस्थान का मानना है कि यह प्रयास न केवल औषधीय पौधों के संरक्षण में सहायक होगा, बल्कि आने वाले समय में आयुर्वेदिक चिकित्सा और शोध क्षेत्र को नई दिशा देगा।







